गर्भाशय कैंसर : कारण, लक्षण, जांच और इलाज की सम्पूर्ण जानकारी”

                              गर्भाशय कैंसर

गर्भाशय कैंसर, जिसे अंग्रेज़ी में Uterine Cancer कहा जाता है, महिलाओं (females)  में होने वाले सबसे आम कैंसर में से एक है। यह कैंसर गर्भाशय की परत या टिशू (tissue) में विकसित होता है, विशेष रूप से एंडोमेट्रियम (गर्भाशय की अंदरूनी परत) में। अगर समय पर पहचान और इलाज न हो तो यह जानलेवा भी हो सकता है। इस ब्लॉग में हम इसके कारण (cause), लक्षण (symptom), प्रकार (types), जांच (investigation) और इलाज (treatment) की विस्तृत जानकारी देंगे।

                                            गर्भाशय कैंसर

गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) एक प्रकार का स्त्री रोग संबंधी कैंसर है, जो गर्भाशय (uterus) में कोशिकाओं (cells) की असामान्य वृद्धि (abnormal growth) के कारण होता है। यह आमतौर पर एंडोमेट्रियल कैंसर के रूप में शुरू होता है, लेकिन यह शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है।

🔷 गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के प्रकार (type) :
1. एंडोमेट्रियल कैंसर (Endometrial Cancer) :

                      गर्भाशय कैंसर -endometrium cancer

यह गर्भाशय की अंदरूनी परत (internal layer)  में होता है और सबसे आम प्रकार है।

2. यूटेराइन सरकोमा (Uterine Sarcoma) :

                          गर्भाशय कैंसर - uterine sarcoma

यह गर्भाशय की मांसपेशियों (uterine muscle) या सहायक टिशूज़ में होता है। यह दुर्लभ लेकिन अधिक आक्रामक होता है।

🔷 गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के कारण (cause) :

गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के स्पष्ट कारणों का अभी तक पूरी तरह पता नहीं चला है, लेकिन कई जोखिम कारक इससे जुड़े हैं:

  • हार्मोन असंतुलन (विशेषकर एस्ट्रोजन का अत्यधिक स्तर) (hormonal imbalance)

  • मोटापा (Obesity)

  • मधुमेह (Diabetes)

  • 50 वर्ष से अधिक आयु

  • अनियमित माहवारी या देर से रजोनिवृत्ति (Menopause)

  • गर्भ धारण न करना (Nulliparity)

  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (HRT)

  • पारिवारिक इतिहास (family history) (जैसे ब्रैका जीन म्यूटेशन)

🔷 गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के लक्षण (Symptoms) :

गर्भाशय कैंसर (uterine cancer) के लक्षण शुरुआत में स्पष्ट नहीं होते, लेकिन इनमें शामिल हो सकते हैं:

                      गर्भाशय कैंसर - symptom

  • रजोनिवृत्ति के बाद रक्तस्राव (Post-menopausal bleeding)

  • माहवारी के बीच असामान्य ब्लीडिंग

  • पेल्विक एरिया में दर्द (abdomen pain) या दबाव

  • योनि से पानी जैसा या खून मिला हुआ स्राव (vaginal discharge)

  • थकान, वजन कम होना (tiredness & weight loss)

  • पेल्विक मास महसूस होना (advanced stage में)

      नोट: अगर किसी महिला को रजोनिवृत्ति के बाद भी खून आ रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

गर्भाशय कैंसर की पहचान के लिए कई जांच की जाती हैं:       

                    गर्भाशय कैंसर - Diagnosis         

1. Transvaginal Ultrasound (TVUS):

इसमें योनि के माध्यम से अल्ट्रासाउंड किया जाता है जिससे एंडोमेट्रियम की मोटाई मापी जाती है।

2. Endometrial Biopsy :

गर्भाशय की परत से एक छोटा सा सैंपल लेकर उसकी लैब में जांच की जाती है।

3. Dilation and Curettage (D&C) :

बायोप्सी के लिए टिशू निकालने की विस्तृत प्रक्रिया।

4. Imaging Tests :

MRI, CT Scan, या PET Scan से कैंसर कितना फैला है, इसका पता लगाया जाता है।

🔷 स्टेजिंग (Stages of Uterine Cancer) :

                    गर्भाशय कैंसर -Stages

              स्टेज                                                                 विवरण                            

           Stage I                                              कैंसर  सिर्फ गर्भाशय में सीमित है      

          Stage II                                            कैंसर गर्भाशय से सर्विक्स तक फैला है

          Stage III                                           कैंसर आस-पास के टिशूज़ तक फैल गया है

         Stage IV                                          कैंसर शरीर के दूर के हिस्सों (lungs, liver) में फैल गया है

🔷 इलाज (Treatment) :

इलाज का चयन कैंसर के प्रकार, स्टेज, और महिला की उम्र एवं स्वास्थ्य पर निर्भर करता है:

1. सर्जरी :

सबसे सामान्य इलाज। इसमें Hysterectomy (गर्भाशय को हटाना) किया जाता है। कुछ मामलों में अंडाशय और फेलोपियन ट्यूब्स भी हटा दिए जाते हैं।

2. रेडिएशन थेरेपी :

कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए हाई-एनर्जी किरणों का उपयोग किया जाता है। यह सर्जरी से पहले या बाद में दी जा सकती है।

3. कीमोथेरेपी :

दवाओं के ज़रिए शरीर में फैले कैंसर को नष्ट करने की प्रक्रिया।

4. हार्मोन थेरेपी :

अगर कैंसर हार्मोन-सेंसिटिव है, तो हार्मोन लेवल को नियंत्रित करके वृद्धि को रोका जाता है।

5. Targeted Therapy & Immunotherapy :

कुछ मामलों में आधुनिक दवाएं सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को निशाना बनाकर काम करती हैं।

🔷 बचाव और रोकथाम (Prevention) :
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें

  • हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी का सीमित उपयोग

  • मधुमेह और हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें

  • नियमित व्यायाम करें

  • अनियमित मासिक धर्म की अनदेखी न करें

  • परिवार में कैंसर का इतिहास हो तो समय-समय पर चेकअप कराएं

🔷 निष्कर्ष :

गर्भाशय कैंसर एक गंभीर लेकिन समय रहते पहचान और इलाज से नियंत्रित किया जा सकने वाला रोग है। महिलाओं को अपने शरीर के संकेतों को समझना और नियमित जांच कराना आवश्यक है। खासकर रजोनिवृत्ति के बाद किसी भी प्रकार की ब्लीडिंग को हल्के में न लें। इस लेख का उद्देश्य जागरूकता फैलाना और समय पर कदम उठाने के लिए प्रेरित करना है।

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