Pyelonephritis

 Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) एक गंभीर गुर्दा संक्रमण (Kidney infection) है जो तब होता है जब बैक्टीरिया या अन्य रोगजनक मूत्र मार्ग (urinary tract) के माध्यम से गुर्दे (kidney) तक पहुंचते हैं। यह संक्रमण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह गुर्दे की कार्यक्षमता (Kidney function) को प्रभावित कर सकता है। इस ब्लॉग में, हम पाइलोनफ्राइटिस के कारण (Cause), लक्षण (Symptom), निदान (Diagnosis), उपचार (Treatment) और रोकथाम (Prevention) के तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे।

                  pyelonephritic kidney

पाइलोनफ्राइटिस क्या है? (What is pyelonephritis)

Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) एक प्रकार का मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI) है जो गुर्दे को प्रभावित करता है। यह तब होता है जब बैक्टीरिया, आमतौर पर ई. कोलाई (E. coli), मूत्रमार्ग के माध्यम से मूत्राशय और फिर गुर्दे में प्रवेश करते हैं। यह संक्रमण एक या दोनों गुर्दों में हो सकता है और समय पर इलाज न करने पर जटिलताएँ (Complications) उत्पन्न कर सकता है।

पाइलोनफ्राइटिस के कारण (Causes of pyelonephritis)

Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) का प्रमुख कारण बैक्टीरिया का मूत्र प्रणाली में प्रवेश करना होता है। अन्य कारणों में शामिल हैं:

  • बार-बार मूत्र मार्ग संक्रमण (UTI)
  • मूत्र मार्ग में रुकावट (जैसे कि किडनी स्टोन या बढ़ी हुई प्रोस्टेट)
  • गर्भावस्था, जिससे मूत्र प्रवाह प्रभावित हो सकता है
  • प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी (जैसे कि डायबिटीज या एचआईवी)
  • कैथेटर का उपयोग
  • पेशाब रोककर रखने की आदत

पाइलोनफ्राइटिस के लक्षण (Symptoms of pyelonephritis)

Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) के कुछ प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

          Pyelonephritis symptom

  • तेज बुखार और ठंड लगना
  • कमर या पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • बार-बार और दर्द के साथ पेशाब आना
  • पेशाब में जलन या बदबू
  • मतली और उल्टी
  • पेशाब में खून आना
  • कमजोरी और थकावट

अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पाइलोनफ्राइटिस का निदान (Diagnosis)

इस संक्रमण के निदान के लिए विभिन्न परीक्षण किए जाते हैं:

  1. मूत्र परीक्षण (Urinalysis) – पेशाब में बैक्टीरिया, सफेद रक्त कोशिकाएँ और रक्त की उपस्थिति की जांच करता है।
  2. कल्चर टेस्ट (Urine Culture) – बैक्टीरिया के प्रकार की पहचान करने के लिए किया जाता है।
  3. ब्लड टेस्ट (Blood Culture) – संक्रमण के प्रसार का पता लगाने के लिए।
  4. अल्ट्रासाउंड या सीटी स्कैन – गुर्दे में किसी रुकावट या सूजन की जाँच के लिए।

पाइलोनफ्राइटिस का उपचार

Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) का उपचार संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है। इसमें निम्नलिखित उपाय किए जाते हैं:

  1. एंटीबायोटिक्स – संक्रमण को खत्म करने के लिए सबसे पहला उपचार।
  2. दर्द निवारक दवाएँ – बुखार और दर्द को कम करने के लिए।
  3. हाइड्रेशन (पानी पीना) – मूत्र प्रवाह को बढ़ाने और संक्रमण को बाहर निकालने के लिए।
  4. गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती – यदि संक्रमण गंभीर हो और इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो।

पाइलोनफ्राइटिस से बचाव के उपाय (Prevention)

आप कुछ महत्वपूर्ण आदतों को अपनाकर पाइलोनफ्राइटिस के खतरे को कम कर सकते हैं:

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं – मूत्र मार्ग को साफ रखने में मदद करता है।
  • बार-बार पेशाब करें – पेशाब रोककर न रखें।
  • साफ-सफाई का ध्यान रखें – विशेष रूप से निजी अंगों की स्वच्छता बनाए रखें।
  • यौन संबंध के बाद पेशाब करें – बैक्टीरिया को बाहर निकालने के लिए।
  • अस्वास्थ्यकर आदतों से बचें – धूम्रपान और अधिक शराब का सेवन मूत्र प्रणाली को कमजोर कर सकता है।

पाइलोनफ्राइटिस की जटिलताएँ (Complications)

यदि समय पर इलाज न किया जाए, तो पाइलोनफ्राइटिस गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकता है:

  • गुर्दे की विफलता (Kidney Failure) – संक्रमण के कारण गुर्दे की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है।
  • सेप्सिस (Sepsis) – संक्रमण रक्त में फैल सकता है और जानलेवा हो सकता है।
  • गुर्दे में फोड़ा (Kidney Abscess) – गंभीर मामलों में मवाद भर सकता है।

पाइलोनफ्राइटिस के प्रति जागरूकता बढ़ाएँ

  • पाइलोनफ्राइटिस के लक्षणों को पहचानें और समय पर डॉक्टर से परामर्श लें।
  • संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का पालन करें।
  • जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य कार्यक्रमों और अभियानों का हिस्सा बनें।

निष्कर्ष

Pyelonephritis (पाइलोनफ्राइटिस) एक गंभीर लेकिन रोके जा सकने वाला गुर्दा संक्रमण है। समय पर निदान, उचित उपचार और सही सावधानियाँ अपनाकर इससे बचा जा सकता है। यदि आप या आपके किसी परिचित को इसके लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत चिकित्सीय सलाह लें।

“स्वस्थ रहें, जागरूक बनें और समय पर इलाज कराएँ!”

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